पुराणांतर्गत इतिहास लेखन
Keywords:
इतिहास , स्रोत, पुराणों का रचनाकालAbstract
इतिहास शब्द कहते ही हमारे मन में यही कल्पना आती है कि जो कुछ भी बीत गया उसका वर्णन. प्राचीन समय में इतिहास के मायने, यानि संसार में बड़ी बड़ी घटनाएँ और युद्ध का वर्णन ही होता था, राजा महाराजाओं का और उनकी नीतियों का भी जिक्र होता था. लेकिन जैसे जैसे इतिहास में मनुष्य की जागरूकता बढ़ती गयी वैसे वैसे प्रत्येक जनजाति का रहन सहन, उनकी धर्म संस्कृति और उनके जीवन में क्या क्या उपलब्धियाँ हासिल हुई इसके बारे में जानने की भी इच्छा हुई. और क्या क्या नये बदलाव समाज में हुए बहुत अधिक भौगोलिक बदलाव भी हुए. वास्तव में परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह ही इतिहास है. इतिहास की उत्पत्ति संस्कृत के तीन शब्दों से ( इति + ह + आस) से मिलकर हुई है। "इति " का अर्थ है जैसा हुआ वैसा ही "ह" का अर्थ है' सचमुच 'तथा "आस" का मतलब है "निरंतर रहना या ज्ञान होना". भारत का इतिहास वेदों से शुरू होता है ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद ग्रंथ और स्मृति आदि हैं. पश्चिम में सबसे पहले इतिहास के रचयिता या जनक हेरोडोटस को माना जाता है. 'हिस्ट्री (history)" शब्द का उल्लेख हेरोडोटस ने अपनी पहली पुस्तक हिस्टोरिका (historical) में किया था. हिरोडोटस ने इतिहास को शिक्षाप्रद विद्या बताया क्योंकि इतिहास से हम बहुत कुछ सीखते हैं. जो गलतियां अतीत में हुई, उसको सुधारा जा सकता है। यह पहला इतिहासकार है जिसने वास्तविक इतिहास लेखन की नींव डाली थी।